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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2646
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।

अथवा
स्वामी दयानन्द सरस्वती के योगदानों का वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वामी दयानन्द सरस्वती के विचारों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर -

स्वामी दयानन्द सरस्वती और आर्य समाज

स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा चलाया गया आन्दोलन देशव्यापी पहला आंदोलन था। 1821 में काठियावाड़, गुजरात में मोरवी के एक छोटे से राज्य में बालक मूलशंकर का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। यह इनका बचपन का नाम था। 21 वर्ष की युवावस्था में उन्होंने वैवाहिक बंधन से मुक्त रहने, मन की अशांति को दूर करने तथा ज्ञान की खोज के लिए गृह त्याग कर दिया। 15 वर्ष तक एक यायावर के समान वह ज्ञान की खोज में भटकते रहे और अंततः मथुरा में नेत्रहीन गुरु स्वामी विरजानन्द के शिष्य के रूप में ढाई वर्ष ज्ञान प्राप्त किया। स्वामी विरजानन्द से ही उन्हें वेदों की दार्शनिक व्याख्या का परिचय मिला। स्वामी जी ने हिन्दू धर्म की कुरीतियों तथा बुराइयों से समाज को मुक्त कराने का कार्य शिष्य दयानन्द से गुरु दक्षिणा में माँग लिया, जिसका महर्षि दयानन्द ने जीवनपर्यन्त तक निर्वाह किया।

वेदों तथा भारतीय दर्शन का गहन अध्ययन करने के पश्चात् स्वामी दयानन्द इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि, "आर्य श्रेष्ठ जन थे, वेद ईश्वरीय ज्ञान तथा भारत विशिष्ट भूमि है।" इस विश्वास के आधार पर उन्होंने मुम्बई में 1875 में आर्य समाज की स्थापना की। कुछ वर्षों बाद इसका मुख्यालय लाहौर में स्थापित किया गया। स्वामी दयानन्द ने अपने जीवन के शेष आठ वर्ष आर्य समाज का प्रचार करने, अपने उपदेशों को प्रसारित करने, पुस्तकें लिखने तथा भारत भर में आर्य समाज का संगठन करने में व्यतीत किए। उन्होंने वेदों का अनुवाद किया तथा 'सत्यार्थ प्रकाश', 'वेद भाष्य भूमिका' (वेदों पर एक परिचयात्मक टीका) और 'वेदभाष्य' यजुर्वेद तथा ऋग्वेद के मुख्य अंशों की संस्कृत में वैदिक टीका आदि पुस्तकें लिखीं।

दयानन्द सरस्वती वेदों को "भारत के आधार स्तम्भ" के रूप में देखते थे। उनका विश्वास था कि हिन्दू धर्म और वेद, जिन पर भारत का पुरातन समाज टिका था, शाश्वत, अपरिवर्तनीय, धर्मातीत और दैवीय हैं। इसीलिए उन्होंने 'वेदों की ओर वापस चलो' तथा 'वेद ही समग्र ज्ञान के स्रोत हैं' का नारा दिया। उन्होंने पुराणों जैसे परवर्ती हिन्दू धर्म ग्रंथों की प्रामाणिकता को अस्वीकार किया। उनके विचार से ये पुराण हिन्दू धर्म में मूर्तिपूजा जैसी कुरीतियों और अन्य अन्धविश्वासों के लिए उत्तरदायी हैं। वेदों को समग्र ही सत्य ज्ञान की एकमात्र पुस्तक मानते हुए एवं वैदिकोत्तर परिवर्तनशील गतिविधियों को अस्वीकार करते हुए, आर्यसमाज ने अनेक निरर्थक कर्मकाण्डों और देवी-देवताओं की उस अन्धविश्वासजन्य पूजा की निन्दा की, जिन्होंने हिन्दू धर्म को अनेक सम्प्रदायों में विभाजित कर दिया था। आर्य समाज ने ब्राह्मणों के प्रभुत्व को अस्वीकार करते हुए सभी धार्मिक अन्धविश्वासों के विरुद्ध धर्म युद्ध छेड़ दिया था। स्वामी दयानन्द ही ऐसे प्रथम हिन्दू सुधारक थे, जिन्होंने बचाव के स्थान पर प्रहार की रणनीति अपनाई और हिन्दू विश्वास की रक्षा करते हुए ईसाइयों तथा मुसलमान आलोचकों के प्रहार के विरुद्ध उन्हें उनके ही दोषों के आधार पर चुनौती दी।

आर्य समाज की देन - आर्य समाज के कार्यों को निम्न चार भागों में बाँटा जा सकता है

1. धार्मिक - आर्यसमाज ने हिन्दू धर्म को नवीनता प्रदान की। आर्य समाज ने वेदों को ही हिन्दू धर्म का आधार ग्रंथ मानने की स्वीकृति दी और हिन्दू धर्म को उन अंधविश्वासों से मुक्त करना चाहा जिनके कारण हिन्दू धर्म का पतन हो रहा था। आर्य समाज द्वारा बताए गए निम्नलिखित दस नियम हैं -

(i) सभी सत्य - विद्या का आदिभूत परमेश्वर है।
(ii) ईश्वर की उपासना करनी चाहिए। ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप, निराकार सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वव्यापक और पवित्र है।
(iii) वेद सब सत्य - विधाओं की पुस्तक है।
(iv) सत्य को ग्रहण करने और असत्य को त्यागने के लिए सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।
(v) सब काम धर्म के अनुसार करना चाहिए।
(vi) आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य संसार का उपकार करना है।
(vii) सबसे प्रेमपूर्वक, धर्मानुसार और यथायोग्य वर्ताव करना चाहिए।
(viii) अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए। -
(ix) प्रत्येक को सबकी उन्नति में ही अपनी उन्नति समझनी चाहिए, सिर्फ अपनी उन्नति से ही संतुष्ट नहीं होना चाहिए 1
(x) सभी मनुष्यों को सामाजिक तथा सर्वहितकारी नियम के पालन में स्वतन्त्र रहना चाहिए।

2. सामाजिक - आर्यसमाज की देन सामाजिक क्षेत्र में अद्वितीय है। इस संस्था ने बहु-विवाह, बाल विवाह और अस्पृश्यता का घोर विरोध किया। इसने समाज से छुआछूत की भावना को दूर करने का प्रयास किया। इसके तत्वावधान में 1908 में दलित जातियों के उद्धार के लिए एक आंदोलन आरम्भ किया गया। इसके नेतृत्व में अनेकों अनाथालय और विधवा आश्रम स्थापित किए गए। आर्य समाज की लोकप्रियता के सम्बन्ध में डा. ज्योतिप्रसाद सूद का कहना है कि, "आज देशभर में आर्यसमाज के सदस्यों की बनाई हुई और उनके द्वारा चलाई जाने वाली सामाजिक सेवा की संस्थाओं का जाल-सा बिछा हुआ है।"

3. शैक्षणिक - आर्य समाज ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए। बड़े-बड़े शहरों में आर्य समाज की ओर से स्कूलों और कालेजों की स्थापना की गई है। इन शिक्षण संस्थाओं में सबसे महत्वपूर्ण संस्था लाहौर का डी. ए. वी. कालेज था जिसको 1886 ई. में दयानंद सरस्वती के स्मारक के रूप में किया गया। लेकिन देश-विभाजन के बाद लाहौर के पाकिस्तान में चले जाने के कारण उसका स्थान डी. ए. वी. कालेज जालंधर ने ले लिया। इसी प्रकार अन्य स्थानों पर भी डी. ए. वी. कालेजों की स्थापना की गई। गुरुकुल काँगड़ी (हरिद्वार) में दयानन्द के कट्टर समर्थकों ने अंग्रेजी शिक्षा विरोधी संस्था की स्थापना की। यहाँ बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अनुशासन का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। चूँकि स्वामी जी हिन्दी भाषा के भी बहुत बड़े समर्थक थे, इसलिए आर्य समाज की ओर से हिन्दी के पक्ष में भी जोरदार प्रचार किया गया।

4. राजनीतिक - यद्यपि आर्य समाज एक राजनीतिक संगठन न था, फिर भी राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में इसका बहुत बड़ा योगदान था। स्वतन्त्र भारत का सर्वप्रथम नारा लगाते हुए स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कहा था, "भारत भारतीयों के लिए है। सम्भवतः 1857 के विद्रोह की असफलता से वे प्रभावित थे। अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में उन्होंने लिखा है कि, "विदेशी शासन से चाहे वह कितना ही अच्छा क्यों न हो, स्वदेशी शासन, चाहे उसमें हजार त्रुटियाँ क्यों न हों, अच्छा है। आर्य समाज की महत्ता को स्वीकारते हुए स्वामी निर्वेदानन्द ने लिखा है कि, "आर्य समाज ने काफी लंबे-चौड़े मैदान से विदेशी सभ्यता के बरबाद करने वाले प्रभाव को समाप्त किया और देश के सांस्कृतिक इतिहास में महत्वपूर्ण सफलता का एक अध्याय जोड़ा '

स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा स्थापित कालान्तर में लाला लाजपतराय, स्वामी हंसराज, लाला जुगल किशोर, स्वामी श्रद्धानन्द आदि के अथक प्रयत्नों से सबसे ज्यादा प्रभावी रहा। आर्य समाज की शिक्षा योजना राष्ट्रीय शिक्षा की द्योतक थी। आर्य समाज की शिक्षाएं धर्मनिरपेक्षता की ऐसी योजनाएँ हैं जिनके अंतर्गत साम्प्रदायिक भेदभाव, जातिगत भेदभाव या धर्मगत घृणा का कोई स्थान नहीं है, क्योंकि स्वामी जी विभिन्न धर्मों के अन्तर्गत अन्धविश्वासों के विरोधी थे। उनका आर्यसमाज ऐसा हिन्दू धर्म था, जो एक मानवतावादी धर्म का उपदेश देता है जिसके अंतर्गत सभी व्यक्तियों को शामिल करने का प्रावधान है। भारत जैसे विविध धर्मों को मानने वाली जनता के लिए तथा राष्ट्रीय एकता की धारणा को शक्तिशाली बनाने के लिए आर्यसमाज से उत्तम और कोई व्यवस्था नहीं हो सकती। स्वामी दयानन्द सरस्वती एक यथार्थ लोकतन्त्रवादी थे। व्यक्ति की गरिमा को बनाए रखने के उद्देश्य से उन्होंने व्यक्तिगत स्वतन्त्रता, समानता तथा बंधुत्व की धारणा पर बल दिया। राज्य के कार्यक्षेत्र के संबंध में उन्होंने लोक कल्याणकारी राज्य का आदर्श स्वीकार किया। वे शासन सत्ता के केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति के घोर विरोधी थे और प्रतिनिध्यात्मक संस्थाओं द्वारा शासन संचालन की आवश्यकता पर उन्होंने जोर दिया। चूँकि उन दिनों भारत ब्रिटिश नौकरशाहो के स्वेच्छाचारी शासन के अन्तर्गत था, इसलिए स्वामी दयानन्द सरस्वती ने प्राचीन भारतीय लोकतांत्रिक पद्धतियों को लागू किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने भारतवासियों में विशुद्ध भारतीय राष्ट्रीय भावना के संचार का बीजारोपण किया। उनके संबंध में रोमाँ रोलाँ का कहना है कि, "वे इलियट के गीत के एक प्रमुख नायक के समान थे, उनमें हरकुलिस की सी शक्ति थी।"

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
  5. प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  7. प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
  9. प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
  10. प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
  12. प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
  13. प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
  17. प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
  20. प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
  22. प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
  23. प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
  24. प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  25. प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
  28. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  29. प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
  32. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  33. प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  35. प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
  39. प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
  41. प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
  43. प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
  44. प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
  45. प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  46. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  47. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
  50. प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
  54. प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
  55. प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
  56. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
  57. प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
  61. प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  62. प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
  63. प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  66. प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
  67. प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
  69. प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
  70. प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
  73. प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
  75. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  76. प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
  83. प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
  85. प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
  88. प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
  90. प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
  94. प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
  95. प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  100. प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
  101. प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
  102. प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
  104. प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
  105. प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  106. प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
  108. प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
  109. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
  110. प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
  111. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
  112. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
  114. प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
  115. प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
  118. प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
  119. प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
  120. प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  121. प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  123. प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  124. प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  125. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
  126. प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
  127. प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
  128. प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  131. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  133. प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
  134. प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  137. प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
  138. प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
  141. प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
  142. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  143. प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
  144. प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
  146. प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
  147. प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?

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